भय के आतंक में जीना क्या होता है, अब भय में जीने की आदत छोड रहा है पीडिए समाज-बिन्दु बाला बिन्द, गाजीपुर

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भय के आतंक में जीना क्या होता है, अब भय में जीने की आदत छोड रहा है पीडिए समाज-बिन्दु बाला बिन्द, गाजीपुर ।

Bindu Bala Bind
Bindu Bala Bind
इटावा में अराजकतत्व द्वारा उपद्रव कर यादव समाज को अपमानित करने के बाद यूपी में शायद पहली बार ब्राह्मणों को यह पता चल रहा है कि भय के आतंक में जीना क्या होता है ? संदर्भ इटावा
सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से इटावा और आसपास से जो वीडियो और खबरे आ रही हैं, उससे यह अंदाज लग रहा है कि इस एरिया के ब्राह्मणों के एक बड़े हिस्से में भय व्याप्त है। सोते-जागते पीटे जाने, अपमानित होने या चोटी काटे जाने आदि का भय सता रहा है।
भागवत कथाएं धड़ाधड़ रद्द हो रही हैं, पुरोहिती थोड़ी ठप्प पड़ गई है। ब्राह्मणों के चेहरों पर ब्राह्मण होने की ऐंठन नहीं दिखाई दे रही है, कुछ का चूहे जैसा चेहरा हो गया है।
बहुत जरूर न हो तो घर से नहीं निकल रहे हैं। कुछ जगहों पर पेशाब-टट्टी भी आस-पास ही कर रहे हैं, जिनके यहां शौचालय नहीं है।
पुलिस-प्रशासन की गुहार लगा रहे हैं और संविधान और कानून की दुहाई दे रहे हैं। कह रहे हैं कि पुलिस न होती, प्रशासन न होता तो क्या होता ? उन्हें भी कानून के राज की जरूरत महसूस हो रही है। मनुवादियों की संविधान रक्षा करता हुआ दिख रहा है। ब्राह्मण समाज को वर्चस्व और आतंक पैदा करके जीने की पुरानी लत है। उनको इस आदत नहीं है कि आतंक और वर्चस्व के अधीन जीना क्या होता है ?
बिहार में एक समय जरूर ठाकुरों-ब्राह्मणों-भूमिहारों को लाल झंडे-डंड़े का भय सताया था, बहुत सारे गांव छोड़कर भाग गए थे।
यूपी उनके लिए निरापद रहा है। उन्होंने योगी-मोदी-मोहन भागवत के उकसावे में आकर मान लिया कि अब दलितों पर लागू मनुस्मृति सभी शूद्रों पर लागू कि जा सकती है। उन्होंने यादवों पर नए सिरे मनुस्मृति लागू करने की कोशिश की।
अजगर के मुंह में सिर घुसेड़ दिए। उन्होंने यादवों को भी दलित समझ लिया। कुछ भी कर दो थोड़ा हो-हल्ला होगा, फिर मुर्दा शांति।
मेरी दृष्टि से अच्छा हुआ, बाभन-ठाकुरों कुछ अंदाज लगना चाहिए कि  भय क्या होता है, डर क्या होता है, दूसरों को दबाना क्या होता है, दूसरों को वर्चस्व के अधीन रखना क्या होता है? भय से सिकुड़ना क्या होता है?
उन्हें यह पता होना चाहिए कि समय रहते उन्होंने खुद की वर्चस्ववादी और जातिवादी आतंकी मानसिकता को नहीं बदला, तो पलटवार होगा तो कैसा होगा ? सपा नेत्री बिन्दु बाला बिन्द ने कहा कि यह समय पर निर्भर करता है।