लखनऊ: लालू प्रसाद यादव को सजा होने पर गाजीपुर बिन्दु बाला बिन्द BINDU BALA BIND ने कहा कि समोसे में आलू अब भी है, पर बिहार में लालू नही है । वो झारखंड की जेल में सजा काट रहे हैं ।
भारत के इतिहास में पहली बार कोई मुख्यमंत्री फर्जी बिल बनाने और उसे पेमेन्ट करने के लिए जेल गया है । मजे की बात, मुख्यमंत्री न बिल बनाता है, न चेक साइन करता है, न कोषागार जाकर आहरण करता है तो जरूर, फ़्रॉड करने वाले अफसरों ने सारे पैसे लालू यादव को सौपे होंगे ?
जी नही, ऐसा भी नही है । मामला #क्रिमिनल_कॉन्सपिरेसी का है । मुख्यमंत्री ने आपराधिक षड्यंत्र किया, ऐसा गवाहों के बयानों में आया है । गवाहो के बयानों में उस ब्राह्मण मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा की कॉन्सपिरेसी भी आई थी, जिसने अपने गुंडों को तीन दिन तक, अपनी राजधानी में मौत का नंगा नाच करने की छूट दी थी । जिसने सेंट्रल फोर्सज को दो दिन एयरपोर्ट से बाहर आने की परमिशन न दी थी । गवाह उसकी बैठकों, उसके निर्देशो के भी थे, लेकिन वो ब्राह्मण मुख्यमंत्री जेल में नही है ।
दरअसल गवाह ही जेल में है । वो आईपीएस उम्र कैद भुगत रहा है लेकिन वो किस्सा अलग है, आदमी अलग है, तो न्याय का आचरण भी अलग है ।
मजे की बात कि जिस षड्यंत्र को रचने का आरोप लालू यादव पर साबित हुआ है, वह उनके 20 साल पहले से चल रहा था । यानि 1978 से पशुपालन विभाग, अपनी आवंटन राशि से अधिक की निकासी कर रहा था ।
न AG ने पकड़ा, न सीएजी ने.. सब सोए पड़े थे तो फिर पकड़ा किसने ? लालू ने..
जांच बिठाई । FIR की, एक नही , दो नही, पूरी 64 FIR करके छापे मरवाये, अफसरों को सस्पेंड किया । जांच कमीशन बिठाया तभी इस बीच कोर्ट-कचहरी में PIL दाखिल हो गयी क्योकि भावी उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को यकीन नही था कि लालू यादव सरकार निष्पक्ष जांच करेगी । सो हाईकोर्ट से रिक्वेस्ट की, कि मामला सीबीआई को दे दिया जाये ।
अब सीबीआई ने सभी दर्ज 64 केस हैंडओवर ले लिए । खुद भी नई FIR दर्ज की । इनमे लालू यादव को ही नामजद कर दिया गया । वैसे तो शुरुआती जांच में नीतीश कुमार का भी नाम सीबीआई के दस्तावेजों में है लेकिन वे समता पार्टी बनाकर बीजेपी से मिल चुके थे लेकिन लालू यादव ने बीजेपी से हाथ न मिलायें । न 1996 में, न 2016 में और नाही 2021 में जबकि हाथ मिलाने वाले 22,000 करोड़ के सृजन घोटाले में नीतीश सुरक्षित हैं और तीसरी बार अबाधित राज कर रहे हैं ।
लालू तीसरे मामले में जेल जा चुके हैं । उनके केस में न कोई गवाह पलटता है, न बयान बदलता है । सबको बीस साल पहले का सब घटनाक्रम, एकदम साफ साफ याद है । लालू यादव से नफरत की जा सकती है ।
#कारण_जेनुइन_है, जो निम्न है :-
आगे बिन्दु बाला बिन्द ने कहा कि लालू यादव का दौर, बिहार में “ऊंची जात” के परंपरागत आतंक को पलटकर “नीची जात” के आतंक को स्थापित करने का रहा है । इस क्रम में कानून व्यवस्था का भट्ठा बैठा और बिहार अराजकता के गर्त में डूब गया ।
यह अवश्य उनका अपराध है, इसकी सजा जनता की अदालत ने बार बार दी है । आगे भी सात पीढ़ियों तक दे सकती है लेकिन सेंट्रल एजेंसीज, विरोधी सरकार और उसके वेतन प्रमोशन पर जी रहे अफसरों की गवाही के आधार पर लालू यादव की ज्यूडिशियल किलिंग पर मेरी असहमति है इसलिए कि यह भारत की राजनीति में अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने की एक नई परिपाटी बिठाएगी ।
आगे बिन्दु बाला बिन्द ने दलित पिछड़े समुदाय के लोगों से कहा कि आने वाले दौर में सत्ता में बैठे लोग अपने से पहले सत्ता में रहे लोगो के साथ वह सदाशयता न बरतेंगे जो 70 साल की रवायत रही है । चारा घोटाला तो बस बहाना है, असली निशाना लालू यादव का यह है कि लालू यादव ने बिहार में #भूरा_बाल मतलब #भूमिहार, #राजपूत, #ब्राह्मण, #लाला के वर्चस्व को हटाकर पिछडों दलितों का वर्चस्व कायम करना ही अदृश्य रूप से आरएसएस व भाजपा नेताओं के लिए मुख्य अपराध है, जिसे दलित पिछड़े समुदाय के ही लोग समझ नहीं पा रहे हैं ।
याद रहे, लालू यादव का मुकदमा, बदले की राजनीति के लिए, ज्यूडिशियल प्रोसेस को मैनिपुलेट करने और सरकारी अफसरों से नेताओ को फंसवाने के कोर्स की प्रशिक्षण पुस्तिका बनेगी तो आज जश्न मनाने वाले सुन लें कि लालू की राजनैतिक हत्या, अब एक नजीर बनने वाली है ।