जानिए भाजपा विधायक डा संगीता बलवंत का जीवन, समाज के लिए योगदान, सोच, विचार व राजनैतिक सफर, बिन्दु बाला बिन्द की जुबानी

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जानिए भाजपा विधायक डा संगीता बलवंत का जीवन, समाज के लिए योगदान, सोच, विचार व राजनैतिक सफर, बिन्दु बाला बिन्द की जुबानी
Bindu Bala Bind बिन्दु बाला बिन्द

जानिए भाजपा विधायक डा संगीता बलवंत का जीवन, समाज के लिए योगदान, सोच, विचार व राजनैतिक सफर, बिन्दु बाला बिन्द की जुबानी

Bindu-Bala-Bind-बिन्दु-बाला-बिन्द
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गाजीपुर : भाजपा की गाजीपुर सदर से भाजपा विधायक डा संगीता बलवंत की आलोचना करने पर अपने गुर्गो से पिटवाती है । इसका जिसने भी साथ दिया, उसको दर किनार किया । सबको साइड लगा कर रखा है । आलोचना करने पर मेरे (बिन्दु बाला बिन्द) ऊपर ही फर्जी मुकदमा लिखवा दी है, जबकि मामले से मेरा कोई लेना देना नहीं था, बावजूद पद पावर का दुरूपयोग करके कोतवाली में मुकदमा लिखवाई ।
समाज के किसी व्यक्ति का भला नहीं की ।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी व दीनदयाल उपाध्याय जी के अलावा कभी भी विरांगना फूलन देवी जी को याद नहीं की ।
कभी समाज के या 17 जातियों के आरक्षण के मुद्दों पर नहीं बोली ।
फूलन देवी जी की हत्या की सीबीआई जांच के लिए कभी मुंह नहीं खोली ।
गाजीपुर कठवामोड काण्ड पर कभी नही बोली जिसमें बेगुनाह, बेकसूर लोगों को जेल में ठुसवा दी और इस काण्ड में मुझे भी फसाना चाही जिसमें से हरीनाथ बिन्द बन्द जेल मे ही दम तोड दिये थे जिसने घर तक कभी नही गयी ।
बस जमीन गाड़ी घोड़ा खरीदती रही और 50 प्रतिशत कमीशन पर निधि का 80 प्रतिशत धन बाटती रही ।
बिन्द समाज की एकता को तोडती रही ।
पूरा समाज जानता है कि कार्यालय जाने पर इसका पति 5 साल तक कहता रहा कि मै गाजीपुर का बिन्द नहीं हूँ मै काशी का बिन्द हूँ तथा नवम्बर-2021 तक अर्थात टिकट मिलने से दो महीने पहले तक यह भी कहता रहा कि मुझें चुनाव नहीं लड़ना है और बिन्दो का वोट मुझें नहीं चाहिए तो फिर क्यों चुनाव लड रहा है और किस मुंह से वोट माँग रहा है इसको चुनाव में मै (बिन्दु बाला बिन्द) अपना तन, मन, धन सब दी लेकिन इसने मेरे साथ अत्याचार व अन्याय की । इसके चुनाव में मैनें दो कुन्तल चावल, एक कुन्तल आटा, 16 लीटर वाला एक डिब्बा सरसों तेल व चार दिन तक सब्जी भेजवाने के साथ ही साथ 10 हजार रूपए बैंक खाता में व 2 हजार कैश मैनंे ही नही बल्कि गाजीपुर का पूरा समाज नोट व वोट देकर विधायक बनाने का काम किये तथा मेरे घर परिवार, पति, पिता व ससुर का दिया हुआ अलग है लेकिन इसने समाज के पूरे मान सम्मान को बेच दिया ।
इसका मैने (Bindu Bala Bind बिन्दु बाला बिन्द) लंका मैदान गाजीपुर में अपना एक लाख रूपया ख़र्च करके सम्मान समारोह का आयोजन करके साल 2017 में सम्मान करके बताई कि इसी तरह समाज का सम्मान करना है लेकिन इस विधायक को कमीशन लेने से कभी फुरसत नही मिला और मेरे ऊपर फर्जी मुकदमा करके मेरे द्वारा किये गये सम्मान को कुचल कर रख दिया और अब चुनाव के समय में बिरादरी याद करते हुए हवा में उधीया रही है इसलिए अब समाज के लोग आरक्षण पाने के लिए निकम्मी विधायक को हराकर 10 मार्च को सपा की सरकार बनाने के लिए अखिलेश यादव जी को मुख्यमंत्री बनायेगे ।
बिन्दु बाला बिन्द
बिन्दु बाला बिन्द
गाजीपुर के बिन्द, निषाद समाज के जिन भी सम्मानित भाई, बहन को बिन्द विधायक चाहिए तो पहले कमीशनखोर विधायक से पूछिऐ कि
1- जब डाक्टर ओमकला बिन्द जी कौएद से चुनाव लड रही थी ये डा राजकुमार सिंह गौतम बसपा का प्रचार.प्रसार क्यों कर रही थी ?
2- साल 2012 में क्या समाज की निकम्मी कमीशनखोर विधायक को बिन्द विधायक नहीं चाहिए था ?
3- समाज की शान डा ओमकला बिन्द जी के देहान्त पर उनके घर नही गयी तथा जब पूरा समाज डा ओमकला बिन्द के साथ था तो ये मनुवादियो के साथ थी और विधायक बनने के बाद पूरे 5 साल समाज को बाटकर कमीशनखोरी में लिप्त रही । इसके अतित को समाज ने सब कुछ भुलाकर विधायक बनाया लेकिन किसी की कद्र नहीं की और आज समाज जाति के नाम पर पुनः विधायक बनकर लूटने का पुनः ख्वाब देख रहीं है जबकि दोनो पति पत्नी अपने नाम के साथ बिन्द नहीं लिखते है । दोनों बिन्द समाज के नाम पर कलंक है ! समाज को बाटने वालों को हक नहीं है कि समाज से वोट मांगे ।
4- जब साल 2017 में करण्डा प्रथम से हीरालाल चक्रवर्ती जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड रहे थे तो ये क्या कर रही थी ?
5- जब साल 2021 में बृजेश बिन्द विक्की जमानिया प्रथम से चुनाव लड रहे थे उनको हराने के लिए खूब प्रचार प्रसार की जिससे विक्की हार गया ।
6- अब समाज के लोग यह तय करें कि मतलबी कमीशनखोर समाज को बाटने वाली विधायक चाहिए या फिर आरक्षण चाहिए ?
7- समाज के लोग यह भी जानते हैं कि
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बिन्द रत्न बाबू रामजन्म बिन्द को लोक सभा, विधान सभा व नगर पालिका चेयरमैन का चुनाव एक एक बार बसपा लड़ा चुकी है तथा एक बार डीजीसी के पद से भी नवाज़ चुकी है ।
2002 में बसपा अशोक कुमार बिन्द को भी विधान सभा का चुनाव लड़ा चुकी है ।
कांग्रेस अर्जुन कश्यप बिन्द को विधान सभा का चुनाव लड़ा चुकी है ।
भाजपा ओमकला बिन्द को दो बार विधान सभा का चुनाव तथा एक बार जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा चुकी है लेकिन अफसोस कि समाज की निकम्मी विधायक डा संगीता बलवंत कभी भी समाज के साथ नही थी । सबका विरोध की जिसकी दलाली के वजह से समाज के सभी लोग़ चुनाव हार गये और आज कमीशनखोर विधायक को समाज याद आ रहा है, समाज का वोट चाहिए, बाकी लोगों को समाज का वोट नहीं चाहिए था । गजब का उम्मीद पाल रखी है भाई ।
जब उक्त लोग चुनाव लड़े थे तो समाज के लोग तन, मन, धन से साथ थे लेकिन कमीशनखोर विधायक कहाँ थी ?
किसका प्रचार प्रसार कर रही थी ? अगर मालूम नहीं है तो पूछ कर बताइये ।
कमीशनखोर विधायक 2005 में बसपा से जिला पंचायत बनी
और कमीशनखोरी के चलते बुरी तरह से हार गयी तो
फिर राष्ट्रीय क्रान्ति पार्टी RKP (कल्याण सिंह)
फिर सपा SP
फिर कौएद KAD
फिर बसपा BSP
फिर 2014 से भाजपा BJP में जाकर मनुवादियों के गोद में बैठकर राजनित करके समाज को बेच रही है ।
कमीशनखोर विधायक के जीतने पर अपने गांव को खुशी में खाना खिलाई थी लेकिन सबको कुचलकर मेरी आवाज को दबाने के लिए हमला करवा दी, फर्जी मुकदमा में फंसा दी । आजतक श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी व दीन दयाल उपाध्याय जी की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के अलावा कभी भी वीर एकलव्य जी व माता विरांगना फूलन देवी जी के मूर्तियो पर माल्यार्पण नहीं करके समाज के महापुरुषों का दिल दुखाया है, फूलन की भटकती आत्मा को तिरस्कार कर समाज के मान सम्मान को बेचने का काम की है, जिसे समाज के लोग कभी माफ नहीं करेगे ।
बिन्द, निषाद समाज सहित 17 जातियों के आरक्षण का अति ज्वलनशील मुद्दा अनुसूचित जाति के आरक्षण पर कभी बोली, बस आरएसएस की गुलामी करती रही ।
तो फिर कैसे समाज के लोग कमीशखोर विधायक को वोट दे ? आधार क्या है ? मुद्दा क्या है ?
आज समाज के लोग पूछ रहे है कि विजय मिश्रा विधायक बनकर मंत्री बने और अपने समाज के नेता सरजू पाण्डेय पार्क को फूलो से सजाकर अपनापन होने का एहसास ब्राह्मण समाज को दिलाये तो अपने समाज की कमीशनखोर विधायिका जी से मै पूछना चाहती हूँ कि आपने ऐसा कौन सा काम करके बिन्द समाज को अपनापन होने का एहसास कराया है, आज समाज पूछ रहा है । जब योगीजी को फूलन देवी जी की मूर्तियों से डर लगता है इसलिए फूलन देवी जी मूर्तियां नहीं लगने देते है और चुप रहती है, ग़ुलामी करती है, कमीशनखोरी करती है, जमीन खरीदती है, गाड़ी खरीदती है, अपने गुण्डे भाइयों से समाज को पिटवाती है, आपकी पुलिस भी कठवामोड काण्ड में घरों में घुसकर पिटती है । यदि आपके पास अकल होता तो आप पूर्व विधायक विजय मिश्रा की नकल करके समाज के महापुरुषों की मूर्तिया की स्थापना करती और समाज की सभा सोसाइटी होने के लिऐ एक भव्य पंचायत भवन बिन्द समाज के नाम से बनवाती लेकिन कमीशन लेने से पुर्सत मिलेगी तब ना जबकि माननीय मुलायम सिंह यादव नेता जी ने फूलन देवी जी को जेल से रिहा कराकर संसद पहुंचाया और बीजेपी के लोगो ने फूलन देवी जी की हत्या कराया और डा संजय कुमार निषाद सहित कुछ नासमझ लोग फूलन देवी जी के हत्यारों व आरक्षण विरोधियों के साथ है ।
Bindu Bala Bind बिन्दु बाला बिन्द

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जब विधायक बनी तो विधान सभा में बैठने वाली कुर्सी पर नाम डा संगीता बलवंत बिन्द लिखा गया तो उसको हटवाकर बिना बिन्द नाम के ही डा संगीता बलवंत लिखवा कर 5 पाच साल बैठती रही तथा चुनाव आते आते जब 4 महीने रह गये तो राज्यमंत्री बन गयी तो गाजीपुर का समाज का ही भाई उस आवास पर डा संगीता बलवंत बिन्द लिखवाकर टगवा दिया तो उसे भी उखाडकर डस्टबीन में फेकवा दी ।
आखिर नाम के साथ बिन्द लिखने पर इतना क्रोध क्यों करती है विधायिका ?
जब नाम के साथ बिन्द लिखने पर इतनी समस्या है तो किस आधार पर बिन्द समाज का वोट मांग रही है विधायिका ?
2017 विधान सभा चुनाव में समाज का हर एक व्यक्ति लाठी डंडा लेकर समाज के वोट की रक्षा कर रहे थे तथा समाज के लोग भी भाजपा को नही बल्कि अपने समाज के उम्मीदवार डा संगीता बलवंत को वोट देने के उत्साहित थे जो नोट व वोट देकर विधायक बनाकर अपना धर्म निभाये लेकिन विधायक ने केवल अपना विकास किया । समाज के किसी भी व्यक्ति को ठेका पट्टा नही दिया इसलिए समाज के 15 प्रधान समाजवादी पार्टी के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर जैकिशुन साहू के साथ है तो कुछ अन्य दल के प्रत्याशी के साथ है । भाजपा का बेस वोट क्षत्रिय व बनिया अब संगीता बलवंत के साथ नही है । बनिया वोट सपा तथा क्षत्रिय वोट बसपा के साथ है तो वही समाज का वोट भी डा संगीता बलवंत के साथ नही है तथा बिन्द समाज के लोगों में 2017 के विधान सभा के चुनाव जैसा उत्साह बिल्कुल भी नही है क्योंकि समाज के लोग काफी नाराज है ।

सपा ने हाकिमलाल बिन्द हण्डिया, प्रयागराज व रामकिशोर बिन्द ज्ञानपुर, भदोही से दो टिकट समाज को दिया है और बिन्द, निषाद, केवट, कश्यप, मल्लाह समाज को कुल 11 टिकट दिया है जबकि भाजपा केवल एक टिकट कमीशनखोर विधायक डा संगीता बलवंत सहित कुल 5 टिकट ही दिया है तो फिर हितैषी कौन हुआ ?
अगर मैं ज्यादा बोलूगी तो फिर अपने गुण्डो से फिर पिटवा देगी और जानिए कि विधायक से नहीं बल्कि आरक्षण से होगा समाज का भला इसलिए निवेदन है कि 🚲🚲 समाजवादी पार्टी गठबंधन की सरकार बनाकर अपना हक अधिकार पावें ।
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Bindu Bala Bind बिन्दु बाला बिन्द