लखनऊ : देश में भाजपा की सत्ता स्थापित होने के बाद जहां एक ओर आरएसएस के कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ी है तो आरएसएस की नीतियों को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं । पिछले साल सवाल उठा था कि आरएसएस देश का सबसे बड़ा संगठन है, फिर राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी और 15 अगस्त क्यों नहीं मनाता । तिरंगा ध्वज क्यों नहीं लहराता। अब सवाल उठाया गया है कि आरएसएस प्रमुख हमेशा ब्राह्मण ही क्यों होता है। राजपूत या दलित या दूसरे समाज के व्यक्तियों को इस पद पर क्यों नहीं बिठाया जाता।
बिन्दु बाला बिन्द ने कहा कि भारतीय नागरिकों को आरएसएस हिंदू समझते हैं तो 1925 से अब तक आरएसएस का प्रमुख केवल ब्राह्मण ही क्यों होता है। दलित, मुस्लिम, ईसाई, सिख आदि क्यों नहीं ? ब्राह्मण समाज में वर्ण व्यवस्था के अनुसार तीन वर्ण क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र के लिए समानता है ही नहीं, वहां तो केवल ब्राह्मण को सर्वश्रेष्ठ समझा जाता है। धर्म पुरोहित को ही ऊपर बैठने का अधिकार है, शूद्रों पर तो केवल अत्याचार ही सदियों से होता रहा है, उनसे गुलामी ही कराई जाती रही है। बिन्दु बाला बिन्द ने आगे कहा कि चुनाव के दौरान दलितों का वोट लेने के लिए उनको हिन्दू सूची में जोड़ लिया जाता है।
बिन्दु बाला बिन्द ने आगे कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कुछ-कुछ समय पर अराजकता फैलाने वाले सांप्रदायिक भाषण देते रहते हैं। इधर फिर भारत में रहने वाले सभी लोगों को हिंदू बताकर तमाम धर्मो का अपमान किया है। मोहन भागवत बताएं कि वह हिंदू कब से हैं ? क्योंकि रामायण, गीता आदि ग्रंथों में तो हिंदू का वर्णन कहीं मिलता नहीं है। बिन्दु बाला बिन्द ने कहा कि वहां तो केवल ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया और शूद्र की पहचान रही है। चुनाव के अवसर पर कभी दलितों का आरक्षण समाप्त करने की बात करते हैं तो कभी सारे देशवासियों को हिंदू बताते हैं। यदि वह दलितों को हिंदू मानते हैं तो उन मंदिरों में जहां आज भी दलितों का प्रवेश वर्जित है, वहां दलित को पुजारी बनाएं। अंतह बिन्दु बाला बिन्द ने कहा कि आरएसएस देश का सबसे बडा सामाजिक संगठन है तो आज तक RSS का प्रमुख ब्राह्मण के सिवाय दलित, मुस्लिम, ईसाई, सिख क्यों नहीं बना है ? यह सबसे बडा सवाल है !
✍️✍️✍️
बिन्दु बाला बिन्द Bindu Bala Bind