करोडों रूपये से खुद की तिजोरी भरकर समाज को धोखा देकर व गुमराह कर डा संजय निषाद नही छुपा सकते है सच्चाई, देना होगा जवाब – बिन्दु बाला बिन्द
लखनऊ: निषाद पार्टी प्रमुख करीबी जो कार्यकर्ता कहता हैं कि निषाद पार्टी के सभी विधायक जय निषादराज का नारा लगाते है, जिस पर गाजीपुर की सपा नेत्री बिन्दु बाला बिन्द Bindu Bala Bind ने कहा कि मैं गलत मानती हूँ क्योंकि जय निषादराज का नारा केवल डा विनोद कुमार बिन्द लगाते है जबकि भारतीय जनता पार्टी का प्रत्येक कार्यकर्ता श्यामा प्रसाद मुखर्जी व पण्डित दीनदयाल उपाध्याय सहित डरपोक सावरकर का ही नारा लगाते है । समाज को समझने के लिए बिन्दु बाला बिन्द ने ज्ञानपुर भदोही के विधायक विपूल दुबे के उमर उजाला विज्ञापन को देखकर बताने के लिए कहा कि इस विज्ञापन में निषाद पार्टी प्रमुख डा संजय निषाद का फ़ोटो कहाँ लगा है या फिर पार्टी प्रमुख का नाम या पार्टी का नाम निषाद पार्टी कहाँ लिखा है ?
राजनैतिक उथल पुथल पर बिन्दु बाला बिन्द ने कहा कि बिहार में VIP की ही भांति भारतीय जनता पार्टी के ब्राह्मण क्षत्रिय लोग विधायक बने और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) की रौदकर भाजपा में चले गये लेकिन मुकेश मुकेश की गलती नहीं थी क्योंकि राजद से टिकट की घोषणा मंच से नहीं किये जाने पर VIP ने भाजपा से मिलकर समझौता करके चुनाव लड़े कि 5 उम्मीदवार VIP के व भाजपा के 6 उम्मीदवार VIP के सिम्बल अर्थात VIP कुल 11 सीटों पर चुनाव लडेंगी ।
बिहार में चुनाव का नतीजा यह आया कि VIP के मुकेश साहनी सहित VIP के सभी पांचो उम्मीदवार चुनाव हार गये क्योंकि आरएसएस व भाजपा के सवर्ण नेताओं ने साज़िश के तहत VIP उम्मीदवारों को हराने व VIP को खत्म करने की नियत से प्रतिदिन दबाव देकर केवल मिटिंग कराकर उलझा देते थे जिससे जनता के बीच में व अपने अपने क्षेत्रों में VIP के मूल कार्यकर्ता विधायक उम्मीदवार नही जा पाते थे और दूसरी तरफ आरएसएस व भाजपा ने VIP सिम्बल होने के वजह से बिन्द, निषाद, केवट, कश्यप, मल्लाह समाज का वोट लेकर VIP सिम्बल पर खड़े अपने सवर्ण उम्मीदवारों को ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर ने वोट देकर चार विधायक जिता लिये, जिन चारों विधायकों पर मुकेश साहनी का शुरू से ही कोई नियंत्रण नहीं था क्योंकि दल-बदलू कानून के तहत दल/पार्टी प्रमुख के पास दो-तिहाई बहुमत/समर्थन होना चाहिए लेकिन चारों के चार विधायकों का शुरू से ही VIP या मछुआ समाज से कोई दिलचस्पी नहीं थी, बस विधायक बनने के लिए VIP सिम्बल पर मछुआ समाज का वोट लेकर चुनाव जीतने आये थे जो MLA बनकर अपने आरएसएस के घर चले गये । यदि VIP के असली पांच उम्मीदवारों में से कोई चुनाव जीतता तो मुकेश साहनी के साथ आखिर दम तक रहता लेकिन अफसोस कि VIP के मूल विधायक पद के उम्मीदवार व मुकेश साहनी आरएसएस की गंदी चाल को समझ नहीं पाने से आज यह दुर्दशा है । राजद के साथ रहे होते तो इतनी खराब स्थिति नहीं होती जबकि सबको पत है कि भाजपा जिससे गठबंधन करती है, उसको समाप्त कर देती है ।
बिन्दु बाला बिन्द ने आगे कहा कि अब यही उत्तर प्रदेश निषाद पार्टी का होना है, जिसकी शुरुआत चुनाव नतीजे के बाद ही शुरू हो गयी है, जो आज वाराणसी के प्रिंट मीडिया अमर उजाला में साफ देखने को मिल रही है । यदि मै बिन्दु बाला बिन्द कहूँ कि करोड़ों रूपये देकर निषाद पार्टी का टिकट/सिम्बल लेकर 6 सवर्ण लोग विधायक बने है तो सरासर गलत कहूँगी क्योंकि सही तथ्य यह है कि डा संजय निषाद ने करोडों रूपये लेकर समाज, समाज की उम्मीद व विश्वास तथा आरक्षण, फूलन देवी की हत्या की सीबीआई जांच सहित निषाद पार्टी के टिकट को बेचा है । यदि आरएसएस का गुलाम डा संजय निषाद रूपये की लालच में दल/पार्टी का टिकट नहीं बेचता तो किसी की हिम्मत नहीं है कि टिकट खरीद सकें क्योंकि जब आप कोई चीज बेचोगे ही नहीं तो कोई कैसे खरीदेगा ? जबकि सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना होने पर एक टिकट समाज के मसीहा डा विनोद कुमार बिन्द, हड्डी रोग विशेषज्ञ को आखिरी समय में दिया गया, जो चुनाव में जीते 7 विधायकों का विवरण इस प्रकार है :-
1-ज्ञानपुर, भदोही– ब्राह्मण बिपुल दुबे, 2. खड्डा, कुशीनगर– भू-ब्राह्मण विवेकानंद 3. शाहगंज, जौनपुर– क्षत्रिय रमेश सिंह, 4. नौतनवां, महराजगंज–ब्राह्मण ऋषि त्रिपाठी, 5. मेंहदावल, संत कबीर नगर– ब्राह्मण अनिल त्रिपाठी, 6. कालपी, जालौन– क्षत्रिय छोटे सिंह, 7. मझवा मिर्ज़ापुर – डा विनोद बिन्द अर्थात 7 में से 6 सवर्ण व 1 समाज का विधायक चुनाव जीते है । इस प्रकार एक को छोड़कर बाकी 6 लोग़ करोड़ों रूपये देकर पहले टिकट लिये जो निषाद पार्टी का सिम्बल होने के वजह से समाज के भोले भाले लोग डा संजय निषाद के बहकावे में आकर वोट दे दिये । इस प्रकार मछुआ समाज के वोट के सहारे सवर्ण उम्मीदवारगण ठाकुर, ब्राह्मण, बनिया का वोट पाकर विधायक बन गये लेकिन आज अमर उजाला का विज्ञापन यह चीख़ चीखकर भाजपाइयो को शुभकामनाएं व बधाई दे रहा है तो वही दिशा विहीन गुमराह मछुआ समाज को बता रहा है कि सभी भाजपाई नेता केवल निषाद पार्टी के सिम्बल से विधायक बनने के लिए आये है, आप सभल जाओ वरना आरक्षण नहीं मिलेगा । निषाद पार्टी से 5 MLA होने से अर्थात दो-तिहाई बहुमत 4 MLA से 1 MLA ज्यादा, 5 MLA होने के बल पर जब चाहे तब सभी 5 लोग भाजपा में जा सकते है बस केवल कागजों में निषाद पार्टी का तगमा लेकर विधायक बने हुए जबकि असल में वह भाजपा के विधायक है और भविष्य में बेवकूफ बनाकर समाज को बेचने वाले डा संजय निषाद ठीक वैसे ही 6 विधायकों का कुछ नहीं कर पायेंगे जैसे बिहार में मुकेश साहनी 3 विधायकों का कुछ नहीं कर पाये है । वैसे योगी सरकार में मत्स्य पालन विभाग कि कैबिनेट मंत्री का पद मिलना भी यह बताने के लिए काफी है कि डा संजय निषाद रामराज्य की सरकार में पावरलेश है । यदि पावरलेश नहीं होते तो कोई मालदार विभाग मिलता ।
डा संजय कुमार निषाद चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ रहे होते तो समाज का हक अधिकार सुरक्षित रहता लेकिन समाज को कलेक्टर बनाने का सपना दिखाने वाले डा संजय कुमार निषाद अब मछली बेचने के लिए कह रहे हैं जो समाज के लिए बहुत ही दुर्भाग्य की बात है ।
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