राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की फ़र्जी जाति के नाम पर भाजपा जीती गुजरात चुनाव – बिन्दु बाला बिन्द

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बिन्दु बाला बिन्द
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की फ़र्जी जाति के नाम पर भाजपा जीती गुजरात चुनाव – बिन्दु बाला बिन्द Bindu Bala Bind

लखनऊ : गाजीपुर की सपा नेत्री बिन्दु बाला बिन्द ने रामनाथ कोविंद की जाति कोरी (वीवर) की जगह कोली (फिशरमैन) प्रचारित कर भाजपा ने किया कास्ट स्कैम – बिन्दु बाला बिन्द

लखनऊ : सपा नेत्री बिन्दु बाला बिन्द ने कहा कि भाजपा पर छल-कपट, झूठ-फरेब, नफरत व जुमलेबाजी की राजनीति करने का आरोप लगाया है ।उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी को पिछड़ी जाति का प्रचारित कर पिछड़े, दलित, वंचित वर्ग के साथ इमोशनल ब्लैकमेलिंग किया । उन्होंने कहा कि 11 अक्टूबर, 2013 को कोच्चि स्थित माता अमृतानंदमयी देवी जी के आश्रम में मोदी ने कहा कि मैं पिछड़ी जाति का हूँ और राजनीति में बहुतों के लिए अछूत हूँ, लेकिन अगले 10 वर्ष पिछड़ों, दलितों का होगा लेकिन जब से मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं । पिछड़ों, दलितों की हकमारी की जा रही है, आरक्षण कोटा की खुलेआम डकैती की जा रही है । उन्होंने कहा कि 2017 में गुजरात मे कांग्रेस की सरकार बननी निश्चित थी, परन्तु भाजपा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की फर्जी जाति प्रचारित कर कास्ट स्कैम कर चुनाव जीता । गुजरात के जातिगत समीकरण में सर्वाधिक संख्या 24.22 प्रतिशत कोली/मछुआरा सहित 29.84 प्रतिशत आबादी निषाद, मछुआरा कोली, भोई, खारवा, धीवर आदि की है । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की जाति कोरी (वीवर) है, लेकिन भाजपा ने उनको कोली (फिशरमैन) प्रचारित कर जातीय भ्रष्टाचार किया । राष्ट्रपति भी कोली मछुआरा समाज की महिलाओं से चुनाव प्रक्रिया के दौरान राखी बंधवाकर अपने कोली बताकर गन्दी राजनीति का परिचय दिए ।

बिन्दु बाला बिन्द ने भाजपा पर देश की सबसे बड़ी आबादी वाले बिन्द, निषाद, केवट, कश्यप, मल्लाह, मछुआरा समाज के साथ सामाजिक राजनीतिक अन्याय करने का आरोप लगाया है । उन्होंने कहा कि जब मोदी जी 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए, तब उनके साथ कोली जाति के पुरुषोत्तम भाई सोलंकी मत्स्य राज्यमंत्री पद की शपथ लिए जो अभी भी मत्स्य राज्यमंत्री ही हैं । उन्होंने कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा गुजरात में जाति के नाम पर ओछी राजनीति नहीं कर पायेगी ।

बिन्दु बाला बिन्द ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने को पिछड़ी जाति का तो बताते हैं, परन्तु पिछड़ों के हित में एक भी उचित निर्णय नही लिए, उल्टे उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन ही कर रहे हैं । यूपीए-2 की सरकार ने पिछड़े वर्ग के संगठनों व नेताओं की मांग पर सेन्सस-2011 में सामाजिक-आर्थिक-जातिगत जनगणना कराया था, परंतु जब मोदी सरकार ने 15 जून, 2016 को जनगणना के आंकड़ों को उजागर किया तो ओबीसी की जनसंख्या को घोषित नहीं किया, जबकि एससी, एसटी, धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग (सिक्ख, ईसाई, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, पारसी, रेसलर) के साथ ट्रांसजेंडर व दिव्यांग के सांख्यिकीय आँकड़े घोषित कर दिए गए, आखिर पिछड़ी जातियों की संख्या घोषित करने से कौन सा राष्ट्रीय अहित हो जाएगा । लोकसभा चुनाव-2019 से पूर्व जून 2018 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आरजीआई, सेन्सस कमिश्नर व जनगणना विभाग के अधिकारियों की मीटिंग में सेन्सस-2021 में ओबीसी की जनगणना के संकल्प लिए थे, परंतु जनगणना के प्रारूप पत्र में ओबीसी का कॉलम न बनाकर वादा खिलाफी व पिछड़ों के साथ बेइमानी किया है । उन्होंने सेन्सस-2011 में कास्ट व क्लास सेन्सस कराने की केंद्र सरकार से मांग किया है ।