लोकतांत्रिक तानाशाही से भाजपा संवैधानिक संस्थाओं को खत्म करने में जुटी – बिन्दु बाला बिन्द
गाजीपुर की बिन्दु बाला बिन्द ने आरएसएस नियंत्रित भाजपा सरकार पर संविधानिक संस्थाओं व सरकारी उपक्रमों को खत्म करने का आरोप लगाया है । उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार रेल, सेल, भेल, गेल, ओएनजीसी, एयरपोर्ट, पोर्ट ट्रस्ट, खनन क्षेत्रों का निजीकरण कर पिछड़े, दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व से वंचित करने का षडयंत्र कर रही है । उन्होंने कहा कि मोदी सरकार से संविधान, लोकतंत्र पर खतरा उत्पन्न होता जा रहा है ।
बिन्दु बाला बिन्द ने कहा कि ईवीएम के माध्यम से विधायिका, लेटरल इंट्री के माध्यम से कार्यपालिका, कॉलेजियम के माध्यम से न्यायपालिका, मेरिट के महिमा-मंडन के माध्यम से प्रचार माध्यमां पर कब्जा किया जा रहा है । आउटसोर्सिंग के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं में अवसर की समानता छीनकर नीति-निर्धारक पदों पर कब्जा असंवैधानिक रूप से कब्जा कराकर वंचित वर्गों की हकमारी की जा रही है ।संविदा के माध्यम से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दुबारा मौका देकर रोजगार के अवसर छीने जा रहे हैं, जिससे शिक्षित बेरोजगारी तेजी से बढ़ती जा रही है।
बिन्दु बाला बिन्द ने आगे कहा कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ( P.P.P.) के माध्यम से सरकारी संस्थाओं परपूंजीपतियों के कब्जा कराया जा रहा है । पाठ्यक्रम- निर्धारण समिति के माध्यम से शिक्षण संस्थाओं पर अनाधिकृत रूप से कब्जा किया जा रहा है । चिकित्सा स्थापना अधिनियम के माध्यम से हेल्थ केयर सिस्टम/स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर पूंजीपतियों का कब्जा कराकर आमजन के सामने संकट पैदा किया जा रहा है। “कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना” के माध्यम से देश की आधी आबादी के सारे अधिकारों को छिनने की साज़िश की जा रही है।
बिन्दु बाला बिन्द ने कहा कि भारत की आम जनता गरीब वंचित-तबका,पिछडों, दलितों, किसानों,मजदूरों के लिए बचा क्या है ? एक एक कर आरएसएस नियंत्रित भाजपा सरकार सबकुछ छिनती जा रही है । गुरु गोलवलकर लिखित बंच ऑफ थॉट्स एवं वी ऑर आवर नेशनहुड डिफाइंड के सुझाये तथ्यों को लागू कर देश की अर्थव्यवस्था, प्राकृतिक संसाधनों,सरकारी उपक्रमों को अडानी व अम्बानी के हाथों नीलाम की जा रही है । अब बचा ही क्या है देश के पास । पिछड़े, दलित, आदिवासी फ़र्ज़ी हिन्दू बनने में ही सबकुछ समझ रहा है । मण्डल विरोधी भाजपा संविधान की जगह मनुस्मृति को लागू करने की ओर बढ़ रही है । संविधान के रहते हुए भी ऐसी हालात के जिम्मेवार मूलनिवासी पिछड़े दलित समाज के
आत्मकेंद्रित बुद्धिजीवी, जिन्होंने मूलनिवासी “महानायक – महानायिकाओं” क्रांतिसूर्य ज्योतिबा फूले, राष्ट्रमाता क्रान्तिज्योति सावित्रीबाई फुले, डॉ. भीमराव आंबेडकर, सयाजी गायकवाड़, पेरियार ईवी रामास्वामी नायकर, बाबू रामचरण निषाद, रामप्रसाद अहीर, बीपी मण्डल, जननायक कर्पूरी ठाकुर, स्वामी ब्रह्मानन्द लोधी, चौ.महाराज सिंह भारतीय, रामस्वरूप वर्मा, पेरियार ललई सिंह यादव, रामलखन चन्दापुरी के सिद्धांत, उद्देश्य, विचारधारा, नीति, नेतृत्व का सामाजिक सम्मान नहीं किया । परिणामतः वंचित वर्ग का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है।